जीवन परिचय

!! जीवन परिचय !!

नाम :             मोहन नागर

पता:              भारत भारती आवासीय विद्यालय परिसर जामठी-बैतूल !



शिक्षा :           स्नातक 


पद:                प्रबंधक भारती आवासीय विद्यालय परिसर जामठी-बैतूल !

                      कवि एवं लेखक 

                       विद्या भारती जनजाति क्षेत्र की शिक्षा क्षेत्र प्रमुख   !



\

मालव माटी गहन गम्भीर ।
पग-पग रोटी डग-डग नीर ।।
नामक कहावत को चरितार्थ करता मालवा सांस्कृतिक उत्सवों के कारण भी अपनी अलग पहचान रखता है । पूरे मालवा के ग्रामीण क्षेत्र मे मुख्य दीपावली पड़वा के दिन मनाई जाती है । इस दिन कृषि अर्थ व्यवस्था के मुख्य आधार बैलों की पूजा की जाती है । मेरे गाँव रायपुरिया के दीपोत्सव मे रा स्व संघ के अ भा सह सरकार्यवाह मा सुरेश जी सोनी, भगवतशरण जी माथुर ने बैलों की पूजा की


।।अद्भुत और अभूतपूर्व कार्यक्रम।।
भारत के जनजाति समाज मे शिक्षा -सेवा और स्वाभिमान के लिये पिछले साठ वर्ष से कार्य करने वाले अ भा संगठन वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा उज्जैन मे आयोजित जनजाति सम्मेलन मे नेपाल सहित भारत के सभी प्रांतो से 240 जनजातियों के तीन हजार से अधिक प्रतिनिधि तीन दिन तक साथ रहे ।हिमाचल लद्दाख अरुणाचल सिक्किम नागालैंड असम राजस्थान गुजरात आंध्र केरल अंडमान दादरा नगर हवेली आदि आदि प्रांतों से आये जनजाति बंधु भगिनियों से मिलकर और हिंदी मे बातकर भारत की विविधता मे एकता के साक्षात दर्शन हो गये 


माँ वीणापाणी का प्राकट्य दिवस सन्निकट है । भारत भारती की आराध्य देवी माँ सरस्वती का श्रंगार करते


म. प्र. साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित पं. भवानीप्रसाद मिश्र स्मृति समारोह मे आज मिश्र जी के साहित्यिक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रदेय पर प्रो प्रेमशंकर रघुवंशी, डा. रुक्मिणी तिवारी, चंद्रशेखर त्रिपाठी, प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल आदि विद्वान वक्ताओं के व्याख्यान हुए । 6 मार्च को सायं 6 बजे कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करते मोहन नागर!



बाबा भोलेनाथ का दरबार भोपाली (बैतूल) की बीस साल से जारी यात्रा इस बार भी हुई । कितना कुछ बदल गया बीते वर्षों मे । हजारों बैलगाड़ियों का स्थान अब ट्रेक्टर और मोटरसाईकिलों ने ले लिया है । बाबा के दर्शन के लिये जाने वाला टेढ़ा मेढ़ा कच्चा रास्ता अब पक्की सीढ़ीयों मे बदल गया है । बमुश्किल मिलने वाली चाय पानी की दुकानों की अब भरमार के साथ अब कई भंडारे चलने लगे हैं ।
परंतु न बदली है न बदलेगी म प्र और महाराष्ट्र के लाखों वनवासियों की अपने महादेव के प्रति अटूट आस्था । जय पड़ापेन-जय बड़ादेव ।



कुकरु(बैतूल) की साँझ के रंग ।
आदरणीय सुरेश जी के संग ।।



भारत भारती में मोहन नागर 





No comments:

Post a Comment