Saturday 23 September 2017

प्राचीन मौसम विज्ञान

#घाघ_भड्डरी की कहावतों को परखें | कल श्रावण शुक्ल सप्तमी हैं | अपने-अपने स्थान का मौसम जांचें |

'श्रावण शुक्ला सप्तमी, डूब के उगे भान,
तब ले देव बरिसिहैं, जब सो देव उठान।'
-सावन शुक्ल सप्तमी को यदि सूर्य बदली में डूब कर उगे तो कार्तिक माह में देवोत्थान एकादशी तक अवश्य वर्षा होती है।
'श्रावण शुक्ला सप्तमी, उगत दिखे जो भान,
या जल मिलिहैं कूप में, या गंगा स्नान।'
-यानि सावन माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को प्रात: सूर्य का उगना दिखे तो घाघ के अनुसार निश्चित रूप से सूखा पड़ेगा।
सावन सुक्ला सत्तमी, जो गरजे अधिरात।
तू पिय जाओ मालवा, हम जायें गुजरात।।
-यदि श्रावण शुक्ल सप्तमी को अर्धरात्रि में बादल गरजें, तो हे प्रिय तुम मालवा चले जाना और मैं गुजरात चली जाऊँगी अर्थात् अकाल पड़ने वाला है |
सावन सुक्ला सत्तमी, गगन स्वच्छ जो होय।
कहै घाघ सुन भड्डरी, पुहुमी खेती खोय।।
- सावन महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को यदि आसमान साफ हो तो घाघ कहतें हैं कि हे भड्डरी! यह जान लो कि अकाल पड़ने वाला है और खेती नष्ट हो जायेगी।
सावन मास बहै पुरवाई।
बरधा बेंचि बेसाहो गाई।।
- जब श्रावण मास में पुरवाई चले तो कृषक को चाहिए कि वह अपने बैलों को बेचकर गाय खरीद ले क्योंकि सूखा पड़ने के आसार हैं जिसमें खेती नहीं हो सकेगी।
सावन सूखा स्यारी।
भादौं सूखा उन्हारी।
स्यार-खरीफ। उन्हारी-रबी की फसल।
- यदि सावन मास में वर्षा न हुई तो खरीफ की फसल को अत्यधिक नुकसान होता है इसी प्रकार यदि भादों में वर्षा न हुई तो रबी की फसल नष्ट हो जाती है।