Friday 7 April 2017

#अखण्ड_भारत_का_केन्द्र_बिन्दु 
बात १९९२-९३ की है | आमला ( भारतीय वायुसेना का शस्त्रागार) में १४ अगस्त को अखण्ड भारत स्मृति दिवस का आयोजन था | जिसमें प्रोफ़ेसर सदानन्द सप्रे जी का भाषण होना था | हमने आमला नगर में खूब प्रचार किया | सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी भी काफी संख्या में कार्यक्रम में आये | शेष बड़ी संख्या में वायुसेना के अधिकारियों ने दूर खड़े होकर सप्रे जी का अखण्ड भारत विषय पर प्रेरक उद्बोधन सुना | कार्यक्रम के बाद सेना के अधिकारियों ने बताया कि आप जिस अखण्ड भारत की बात करते हैं उस अखण्ड भारत का केन्द्र बिन्दु तो यहीं पास में बरसाली नामक गाँव में हैं | हमारी उत्सुकता जगी | मैं कुछ युवा साथियों को लेकर बरसाली गया, सतपुड़ा की सुरम्य और उत्तुंग पर्वत श्रंखलाओं के मध्य बैतूल से १४ किलोमीटर दूर ग्राम बरसाली यूँ तो बैतूल जिले का एक बहुत सामान्य सा गाँव है, जहाँ लोग खेती और पशुपालन द्वारा अपना जीवन निर्वाह करते हैं | गन्ने की खेती के लिए भी यह क्षेत्र प्रसिद्ध है | कभी यह क्षेत्र खेड़ला किला (बरसाली से दस किलोमीटर दूर) के गौरवमयी इतिहास के साथ जुड़ा, जहाँ सैंकडों वर्षों तक गौंड राजाओं का राज्य रहा | अजंता-एलोरा की गुफाएं बनाने वाले "राजा इल" के समृद्धशाली राज्य का भी यह हिस्सा रहा | खेड़ला किला पर मराठी का आद्द्य ग्रन्थ "विवेक सिंधु" की रचना महाकवि संत मुकुन्द स्वामी जी ने की | 
 खैर ..लोगों से चर्चा करने पर ध्यान आया कि गाँव के लोग उस स्थान को एक देव स्थान के रूप में मानते हैं | अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दु होने की बात पहली बार हमने उनको बताई | जब केन्द्र बिन्दु स्थान पर पहुँचे तो वहाँ एक बड़ा सा पत्थर पहाड़ी के नीचे पड़ा था, जिस पर अस्पष्ट कुछ लिखा हुआ है | गाँव के लोग इस पत्थर को सैंकडों वर्ष पुराना मानते हैं तथा पीढ़ी दर पीढ़ी देखते आ रहे हैं | मान्यताओं के अनुसार यही वह पत्थर है जो राजा टोडरमल (राजा टोडरमल ने विश्व की प्रथम भूमि लेखा-जोखा एवं मापन प्रणाली तैयार की थी) ने लगभग ५०० वर्ष पूर्व अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दु के रूप में यहाँ स्थापित किया था | ग्राम बरसाली जम्मू से कन्याकुमारी रेलमार्ग पर मध्य रेलवे के इटारसी - नागपुर रेल खण्ड पर स्टेशन के पास स्थित है। यहाँ पेसेंजर गाडियां रुकती है |
इस बीच कई बार केन्द्र बिन्दु पर जाना हुआ | बैतूल के सुधी नागरिकों ने उस पत्थर को स्थापित करवाया | 
८ फरवरी २०१७ को बैतूल में सम्पन्न ऐतिहासिक हिन्दू सम्मेलन के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक मोहनराव जी भागवत ने भी बैतूल का उल्लेख अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दु के रूप में किया | तब से पुनः उस स्थान पर जाने की इच्छा थी | आज श्री सुरेन्द्र जी सोलंकी, श्री बुधपाल सिंह जी और श्री Anand Prajapati जी के साथ बरसाली जाना हुआ | ग्राम सरपंच श्री पुरुषोत्तम यादव जी के साथ ग्रामीणों से विस्तृत चर्चा हुई | ग्राम बुजुर्गों ने बताया कि यह लगभग दस फिट की शिला थी जिसमे से आधी शिला कई वर्ष पूर्व ग्राम मोरनढाना के कोई केशव पटेल जी ले गए , जिसकी उन्होंने श्री हनुमान जी की प्रतिमा बनाकर गाँव में स्थापित की |
सरपंच महोदय ने बताया कि यहाँ वायुसेना के बहुत से अधिकारी आते रहते हैं | गाँव के लोग वार-त्यौहार पर शिला के सम्मुख दीप जलाते हैं | वहाँ तक पहुँचने का मार्ग दुर्गम है | इस स्थान की एक ओर विशेषता है कि यहाँ की मुख्य पहाड़ी पश्चिम छोर का पानी माचना नदी से तवा होते हुए नर्मदा मैया के द्वारा सिंधु (अरब) सागर में जाता है तथा पूर्व दिशा का पानी बेल नदी के द्वारा कान्हान होते हुए वर्धा नदी से वेनगंगा होते हुए माँ गोदावरी के द्वारा गंगा सागर (बंगाल की खाड़ी) में मिलती है |
गाँव वालों की इच्छा है कि यहाँ पर्यटक स्थल बनें और हमारा गाँव पुनः दुनियाँ के नक़्शे में दिखने लगे | 
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कुछ भी हो...बैतूल है बहुत अद्भुत...अखण्ड भारत बनाने का एक सूत्र भी यहाँ विद्यमान है |
#भारत_माता_की_जय