Sunday 13 September 2015

हिन्दी दिवस

|| दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मलेन ||
भारत के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल में सम्पन्न दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मलेन में तीनों दिन रहने का सौभाग्य मिला | मैं तो हिन्दी की पुत्री मालवी का बेटा हूँ | इस दृष्टि से तीन दिन ननिहाल में बिताने जैसे ही रहे | मुख्य द्वार से लेकर विशाल पाण्डाल तक की छवियाँ सदैव ह्रदय मन्दिर में विराजित रहेगी | भारत के प्रधानमन्त्री श्री Narendra Modi जी का उद्घाटन भाषण के अंश पूरे सम्मलेन की विषयवस्तु में छाये रहे | उन्होंने कहा कि "भाषा का महत्व तब समझ में आता है जब वह लुप्त हो जाती है | उन्होंने विद्वानों की इस बात का उल्लेख करते हुए चिंता व्यक्त की कि इक्कीसवीं सदी के अंत तक विश्व की नब्बे प्रतिशत भाषाएँ लुप्त होने की कगार पर पहुँच जायेगी |" 
भारत सहित विश्व के चालीस देशों के हिन्दी भाषी प्रतिनधियों ने सम्मलेन में उत्साह पूर्वक सहभागिता की | पहली बार विश्व हिन्दी सम्मलेन को केवल साहित्य के दायरे से बाहर निकालकर हिन्दी भाषा को विश्व भाषा की ओर ले जाने की दृष्टि से बारह बिन्दुओं पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ | 
ये बारह बिन्दु निम्नलिखित प्रकार से थे |
१- हिन्दी पत्रकारिता और संचार माध्यमों में भाषा की शुद्धता 
२- विधि एवं न्याय क्षेत्र में हिन्दी और भारतीय भाषाएँ 
३- बाल साहित्य में हिन्दी 
४- देश और विदेश में प्रकाशन : समस्याएँ एवं समाधान 
५- विदेश नीति में हिन्दी 
६- प्रशासन में हिन्दी 
७- विज्ञान क्षेत्र में हिन्दी 
८- संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी 
९- विदेशों में हिन्दी शिक्षण : समस्याएँ और समाधान 
१०- विदेशियों के लिए भारत में हिन्दी अध्ययन की सुविधा 
११- गिरमिटिया देशों में हिन्दी 
१२- अन्य भाषा भाषी राज्यों में हिन्दी |
विश्व हिन्दी सम्मेलन में पहली बार इतने विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चाएँ और प्रस्ताव पारित हुए | बारह विषयों के ये सत्र अलग-अलग पाण्डालों में चले | प्रतिनिधियों और अतिथियों की रूचि अनुसार किसी भी सत्र में जाने की छूट थी | मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री श्री शिवराजसिंह चौहान सम्मलेन के आयोजक मात्र न रहकर उन्होंने अनेक सत्रों में भागीदारी की तथा अनेक प्रस्तावों को मध्यप्रदेश तत्काल प्रभाव से लागू करने की घोषणा भी की | सम्मेलन की गम्भीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय मन्त्री डॉ हर्षवर्धन जी, जनरल वीके सिंह जी पूरे समय सम्मेलन में उपस्थित रहे तथा सत्रों में सहभागिता की |
हिन्दी का लबादा ओढ़े कुछ विघ्न संतोषी भी सम्मलेन में आये थे | पर उनकी नहीं चली | उनके द्वारा रखे गये प्रस्तावों को एक सिरे से निरस्त कर दिया गया | लाल गुलामों के चंगुल से अब हर आयोजन निकलते जा रह हैं | सो उनकी पीढ़ा कहीं न कहीं तो निकलेगी | 
मैं पूरे समय सम्मलेन में था | पूरे आयोजन में  केवल और केवल हिन्दी का गौरव और वैभव बढ़ाने की बातें हुई | समापन कार्यक्रम में भारत के गृह मन्त्री श्री राजनाथ सिंह जी की उपस्थिति में हर प्रस्ताव को बिन्दुवार पढ़कर उसे ध्वनिमत से पारित कर भारत सरकार को भेजा गया | समापन सत्र में इस पूरे आयोजन के नायक Anil Madhav Dave जी ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि हिन्दी दो कारणों से बचेगी और बढ़ेगी |
१- अपने घर में हिन्दी 
२- अपनी जीभ पर हिन्दी 
========================
अभी बहुत लिखना शेष है ...पर आज के लेख के अन्त में ..."जिस देश का राजा जिस भाषा का प्रयोग करता है, वहाँ के नागरिक वह भाषा अपने आप समझने, बोलने और लिखने लग जाते हैं | आईये अंग्रेजी के मायाजाल से बाहर निकलें और अपनी-अपनी मातृभाषा पर गर्व करते हुए हिन्दी को विश्व भाषा के स्थान पर प्रतिष्ठापित करें |"
सभी मित्रों को भाषाओं की महारानी हिन्दी के दिवस की शुभकामनाएँ-बधाइयाँ |
#हिन्दी_दिवस 
#हिन्दी_हैं_हम