Wednesday 17 December 2014

#नृशंसता
अपने ही अण्डे नष्ट कर देने वाले (गर्भ में हत्या) बिना पंख के मानव(!) पखेरू के किस्से तो आये दिन हम सुनते रहते हैं | लैकिन कुछ मांसाहारी जानवर नरों में एक क्रूरता ओर पाई जाती है कि उनके रहते उनके कबीले में कोई दूसरा नर पैदा न हो ताकि पूरी मादाओं को वो अकेला भोग सके | इसलिए प्रसव के कुछ समय पूर्व से उस दल की मादाएं नर से दूरियाँ बना लेती है ताकि अगर नर संतान हुई तो वो उसकी रक्षा कर सके | इस कार्य में अन्य मादाएँ भी उसकी सहायता करती है | लैकिन नर भी बहुत सचेत रहता रहता है, पशु जानकारों के अनुसार पचहत्तर प्रतिशत से अधिक शिशु नर उस दल के मुखिया नर के शिकार हो जाते हैं, वो पैदा होने के छः माह बाद तक भी उनका गला दबा देता है |
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इसे मानवता का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इक्कीसवीं सदी के वैज्ञानिक युग में भी यह पशु क्रूरता कुछ मानव (!) कबीलों में विद्यमान है |
#पेशावर की पशुता 

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