Sunday 1 October 2017

छद्म सेकुलर सोच

#सोचिये
दशहरा आया नहीं कि रावण के गुणगान शुरू ।
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#दीपावली के बीस दिन पहले ही ये मारे #प्रदूषण के खांसने लगेंगे ।
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जब भी कोई हिन्दू त्यौहार आता है तो ये धूर्त #लालगुलाम मानसिकता के लोग इन पर्वों से सम्बन्धित #मनगढ़ंत मिथक बनाकर सोशल मीडिया के बाजार में फर्जी आईडी से चेंप देते हैं ।
और फिर सोशल मीडिया में भोले-भाले नवे-नवेले आये अति उत्साही या लिबरल टाइप के फेसबुकिये उसे शेयर और कॉपी-पेस्ट शुरू कर देते हैं ।
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- रावण ने #सूर्पनखा की नाक कटने पर पूरी लंका दाव पर लगा दी, बोलो बहिनों आपको रावण जैसा भाई चाहिए कि नहीं ?
और मूर्ख सेकुलर फेसबुकिये, मर्यादा पुरुषोत्तम राम की बजाय अमर्यादित अहंकारी रावण का गुणगान शुरू कर देते हैं ।
- रावण का पुतला कहता है "क्या मेरे बाद किसी ने बुरा काम नहीं किया समाज में, तो फिर मुझे ही क्यों जलाते हो ?
आज समाज मे सैंकड़ों रावण घूम रहे हैं, उन्हें भी जलाओ । और मुझे जलाने के लिए ये नकली राम नहीं, असली राम हो तो लाओ ।
- माँ दुर्गा को छप्पन भोग क्यों लगाते हो, बाहर भिखारी बैठा है, उसे खिलाओ, माँ प्रसन्न हो जाएगी ।
- एक तरफ शिव प्रतिमा पर दूध चढ़ाते हुए तथा एक फोटो में युगांडा के कुपोषित बच्चे का फोटो डालते हुए लिखते हैं कि ये दूध की जरूरत किसे है । सोचिये ।
- रक्षाबन्धन पर ये धूर्त चुटकुले लिखते हैं कि "यार आज तो घर से बाहर नहीं निकलूँगा, पता नहीं कौन राखी बांध दे ?
-दीपावली पर पटाखों की आवाजें और प्रदूषण ये यंत्रों से नापकर बताते हैं और 31 दिसम्बर पर इनके यंत्र खराब हो जाते हैं ।
- होली के समय होलिका दहन इन्हें एक अबला महिला को जिंदा जलाने की कुप्रथा लगती है ।
- बाकी गणेश स्थापना , देवी पूजा पर भी ये अनास्था पूर्ण टिप्पणियाँ लिखते हैं और #मूर्ख_सेकुलर उसे शेयर करते हैं ।
इसमे गौर करने लायक बात ये है कि #धूर्त_वामपंथी इस तरह के मिथक सिर्फ हिन्दू त्यौहारों पर ही बनाते हैं । अन्य मतावलंबियों के उत्सवों पर ये सात दिन पहले से "मुबारकवाद" शुरू कर देते हैं । हजारों-लाखों पशुओं की हत्या पर इनके मुँह में दहीं जम जाता है ।
20 दिसम्बर से ही ये खुद के बच्चे को सांताक्लाज बनाना शुरू कर देते हैं । और 31 दिसम्बर के पटाखों की आवाज इन्हें शायद शास्त्रीय संगीत के रूप में स्वरान्तर होकर सुनाई देती है ।
कुल मिलाकर आप देखेंगे कि केवल और केवल हिन्दू पर्व को ही ये मजाक ढकोसला सिद्ध करने का षड़यंत्र करते हैं ।
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इन मारीचों की मायावी आवाज को पहचानो। अपने पर्व अपनी रीति नीति और संस्कृति के अनुसार मनाओ । 

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